शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

रेखांक(ॠणांक/शिरोरेखा /vinculum ), अर्थ और प्रयोग, विस्तार से.

ॠणांक/ रेखांक (vinculum)

रेखांक = रेखा + अंक(Bar digit) 
या  ॠणांक = ॠण+अंक(negative digit) 
या शिरोरेखा = (अंक के) शिर के ऊपर एक रेखा(bar).


  
(किसी अंक पर एक रेखा(bar) ,उस अंक का ॠणात्मक होने का संकेत करता है और वह संख्या जिसमें रेखांक का प्रयोग हुआ हो उसे रेखांक संख्या कहा जा सकता है . ध्यान रहे कि वर्तमान में  हम इस शिरोरेखा (bar) का प्रयोग आवर्ती अशांत (recurring non-terminating ) संख्या का निरूपण करने के लिए भी करते हैं किन्तु वैदिक गणित में हम  इसे रेखांक/ॠणांक  को दिखाने  के लिए प्रयोग कर रहे हैं.)


हम  रेखांक  शब्द  का प्रयोग  करेंगे। साथ ही रेखांक से बनी संख्या को रेखांक संख्या कहेंगे। 

रेखांक की आवश्यकता और महत्व : वैदिक गणित के सभी नियम अंकों(digits)के गणनाओं(calculations)पर आधारित है इसलिए अंकों का छोटा होना हमारे लिए अच्छा और आवश्यक है. रेखांक ही, बड़े अंकों  की संख्या को, छोटे अंकों की संख्या बना देती है. 

सबसे पहले, संख्या(number) पर विचार करते हैं -- हम अंकों(digits) के मेल से संख्या बनाते हैं जिसमें हर अंक का एक निश्चित मान होता है साथही स्थानीय मान(place value) होता है. 

0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 (या ०, १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९) -इन्हीं 10 अंकों की सहायता से हम बड़ी से बड़ी संख्या का निरूपण कर सकते हैं.

इस प्रकार 54321= 50000+4000+300+20+1  को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है --






इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि ॠणात्मक अंक(digit) की सहायता से भी किसी संख्या को लिखा जा सकता है। जैसे यहाँ -6 को हमने लिखा है। ध्यान रहे यह केवल उदाहरण के लिए था अन्यथा हमारा उद्देश्य छोटे अंक 4 को बड़े अंक 6 (अर्थात -6) में बदलना नहीं है. बल्कि हम बड़े अंक को छोटा बनाना चाहेंगे। 

अब निम्नलिखित उदाहरणों से समझते हैं. ---



यहाँ पर प्रत्येक ॠणात्मक अंक अर्थात् रेखांक को, अंक के ऊपर एक रेखा (bar ) खींच कर दर्शाया गया है। 


















































आप आगे कुछ भी पढ़ने से पहले ऊपर के सभी संख्याओं को अवलोकित(observe) कीजिये।आप देख सकते हैं कि --

  • रेखांक के रूप में लिखने पर भी संख्या का वास्तविक मान नहीं बदलता है।
  • यह आवश्यक नहीं है कि केवल सभी या केवल अंत के अंकों को ही रेखांक के रूप में लिख सकते हैं। (ऊपर बंद आकृति में संख्याओं को देखिये)।

सरलता से रेखांक ज्ञात करना --- इसके लिए १. एकाधिकेन पूर्वेण  तथा २. निखिलं नवतः चरमं दशतः --इन दो सूत्रों का प्रयोग करेंगे। 
  • * एकाधिकेन पूर्वेण का अर्थ है पूर्व (अंक) का एक अधिक। ** निखिलं नवतः चरमं दशतः का अर्थ है सब 9 में से अंत वाला 10 में से (घटाना है).
  • सबसे पहले ध्यान दें कि हम इस विधि का प्रयोग 5 से बड़े अंकों को ही परिवर्तित करने के लिए करें तो अच्छा होगा। 
  • जिन अंको को परिवर्तित करना है उन्हें निखिलं सूत्र से घटा कर लिख लेंगे।
  • पूर्व का अंक (जिसके ठीक बाद वाले अंक पर निखिलं सूत्र लगाया गया है ) में एक जोड़ देंगे। अर्थात उसका एकाधिक लिखेंगे।नीचे उदाहरण में देख सकते हैं के 199 में ;1+1 =2, 9-9=0, 10-9= 1 और इसी तरह से अन्य भी है। आप स्वयं प्रयास करें।
  • रेखांक 0 पर लगा हो या एक से अधिक अंकों पर एक साथ लगा हो इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता है.
आशा है अब आप समझ चुके हैं कि रेखांक के प्रयोग से बड़े अंकों वाले संख्याओं को तुरंत, मन में ही, छोटे अंकों वाले में परिवर्तित कर सकते हैं।

**रेखांक संख्या को पुनः सामान्य संख्या मे परिवर्तित करने के लिए भी इसी प्रकार से रेखांक पर निखिलं सूत्र लगा दीजिये। और जहाँ 'एक-अधिक' करते थे वहां उल्टा 'एक-कम' करेंगे, कह सकते हैं कि यहाँ 'एकन्यूनेन पूर्वेण' सूत्र लगा है जिसका अर्थ है पूर्व (अंक) से एक कम (के द्वारा) । नीचे उदाहरण में 4-1=3 , 9-1 =8 , 10-2=8 लिखा गया है और इसी तरह से अन्य भी.
उदाहरण --
                                             

रेखांक के साथ जोड़ घटाव गुणा के नियम हम पहले से ही जानते हैं.कुछ सामान्य सा उदाहरण देखते हैं शेष अन्य बाद में आवश्यकतानुसार सीखेंगे
                          


जितना आवश्यक है आप उतना जान चुके हैं। इसका प्रयोग अधिकतर गुणा और भाग के क्रम में होता है। विशिष्ट रूप से निखिलं सूत्र से गुणा और भाग ,परावर्त्य से भाग  और ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् सूत्र से गुणा में।

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