वैदिक गणित के 16 सूत्र, शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थजी महाराज की कृति के बिखरे सन्दर्भों में से अलग किये गए हैं. जिस एक मात्र पुस्तक पर आधारित है वर्तमान में पढ़ा-पढ़ाया जाने वाला वैदिक गणित, उसी पुस्तक के अनुसार वैदिक गणित के 16 सूत्रों और 13 उपसुत्रों के नाम,अर्थ,और इनके प्रयोग किये वाले स्थान ,यहाँ पर दिए जा रहे हैं.
1.एकाधिकेन पूर्वेण
अर्थ: पूर्व वाले से एक अधिक
प्रयोग: आवर्ती दशमलव भिन्न[recurring decimal fraction],वर्ग ज्ञात करने में,आंशिक भिन्नों द्वारा समाकलन[integration by using partial fractions].
उदाहरण: --वर्ग निकालने के लिए--(यहाँ केवल 5 से अंत होने वाली संख्याओं की बात की जा रही है)--
25 का वर्ग:यहाँ पूर्व का अंक(संख्या) है 2 .----->2 का एकाधिक है 3.
अब अंतिम हल है 2x3\25------->वर्गफल के दुसरे भाग में हमेशा 25 ही होगा.
इस तरह 25 का वर्ग=625.
35 का वर्ग=3x4\25=1225,
175 का वर्ग=17x18\25=30625,
995 का वर्ग=99x100\25=990025.इत्यादि.
2.निखिलं नवतः चरमं दशतः
अर्थ: सभी 9 में से, अंत वाला 10 में से
प्रयोग: संख्याओं के गुणा और भाग में,रेखांक ज्ञात करने में.
उदाहरण:--आधार(10,100,1000,10000,...) के प्रयोग से गुणा-- 9998x6543=
9998 -0002 ----->आधार 10000-9998*
6543 -3457-----> आधार 10000-6543**
-------------------
6541 \ 6914 ------>6541=9998-3457 या 6543-2;6914=-2 x -3457
-------------------
अतः 9998x6543=65416914 होगा.
सूत्र का प्रयोग कहाँ हुआ ?--->10000-6543= . यहाँ सभी अंकों को 9 से घटाएंगे और अंतिम/चरम अंक को 10 में से घटाएंगे. इस सूत्र के प्रयोग से मन में ही घटाकर सीधे लिखेंगे.
*9998,10000 से 2 कम है इसलिए -2 लिखा गया.
**इसी प्रकार 6543,10000 से 3457 कम है इसलिए -3457 लिखा गया.
#अगर *,** में कम न हो करके अधिक होता तो ऋणात्मक चिन्ह नहीं लिखा जाता.
3.ऊर्ध्व-तिर्यग्भ्याम्[vertically and crosswise]:
अर्थ: सीधा/ऊर्ध्वाधर और तिरछा/तिर्यक
प्रयोग: संख्याओं के गुणा,बीजगणितीय[algebraic] गुणा ,साथ ही इनके भाग में भी,वर्गमूल ज्ञात करने में.
उदाहरण:--सामान्य गुणा-- 124x235=
2.1=2; 2.2+3.1=7; 2.4+3.2+5.1=19; 3.4+5.2=22; 5.4=20

यहाँ 2;7;19;22;20 को दो तरह से लिखा गया है -
बाएं से दायें उत्तर पाने के लिए ध्वजांक को बाएं से उठाकर दायें में जोड़िये*.इसी तरह दायें से बाएं में ठीक विपरीत कार्य करना है.
*यदि दो अंक आ जाये तो दहाई अंक पहले वाले में जोड़ा जायेगा.
इस कारण से दायें से बाएं ,ज्यादा आसान लगता है अधिकतर लोगों को.
दोनों ओर से गुणनफल एक ही आएगा. 124x235=29140.
4.परावर्त्य योजयेत्[transpose and apply]:
अर्थ: पक्षान्तरण तथा अनुप्रयोग
प्रयोग: भाग करने में,जटिल समीकरणों को हल करने में.
उदाहरण: --भाग--13799/113 जहाँ पर भाजक ,आधार 10,100,...के निकट ऊपर हो .
यहाँ Q=122 और R=13 है ,हम इसपर बाद में विस्तार से बात करेंगे.
5.शून्यं साम्यसमुच्चये
अर्थ: जब समुच्चय एक समान है तब उस समुच्चय का मान शून्य होता है.
सामान्य समीकरणों को आसानी से हल करने में अच्छा है यह सूत्र.
यहाँ समुच्चय के 6 अर्थ निकलते हैं.जिनके बारे में आगे बताया जायेगा.
प्रयोग: सरल समीकरणों को हल करने में.
उदाहरण: --समुच्चय के पहले अर्थ (सार्वगुणनखंड) का अनुप्रयोग--
समी० 9(x+1)=5(x+1) को हल करने के लिए सीधे लिखेंगे x+1=0. =>x= -1
*9 और 5 का कोई प्रभाव नहीं है हल पर इसीलिए 9 से और 5 से गुणा करना और फिर जोड़-घटाव करने के बाद हल पाना उपयुक्त नहीं है.
6.(आनुरूप्ये) शून्यंमन्यत्
अर्थ: प्रयोग में इसका अर्थ है -यदि एक अनुपात में है तो दूसरा शून्य है.
प्रयोग:एक विशिस्ट प्रकार के युगपत[simultaneous] सरल समीकरण को हल करने में.
उदाहरण:
5x+6y=3
10x+18y=6
यहाँ x के गुणांकों का अनुपात तथा अचर पदों का अनुपात एक ही है--
5:10; 3:6. इसलिए सूत्र से, दूसरा अर्थात y शून्य होगा.
इस तरह से x=3/5 होगा.
7.संकलन व्यवकलनाभ्याम्
अर्थ: जोड़ने तथा घटाने द्वारा
प्रयोग: वैसे युगपत समी० को हल करने में ,जिनमे x-गुणांक तथा y-गुणांक अदल-बदल कर दिए हों.
उदाहरण:
5x-3y=11
3x-5y=5
संकलन(जोड़ने पर)-- 8x-8y=16 =>8(x-y)=16 =>x-y=2
व्यवकलन(घटाने पर)-- 2x+2y=6 =>2(x+y)=6 =>x+y=3
इसलिए x=5/2,y=1/2.
8.पूरणापूरणाभ्याम्
अर्थ: पूर्ण या अपूर्ण(बिना पूर्ण) करने से.
प्रयोग:वर्ग,घन,चतुर्घात इत्यादि को पूर्ण करके या किये बिना समीकरणों को हल करने में.
* पारंपरिक गणित में इसका प्रयोग पहले से ही किया जा रहा है(solution by completing square).
उदाहरण: द्विघात को पूर्ण करके हल करना--
x^2 +2x-8 = 0 =>x^2 +2.1.x+ 1^2 -8 -1^2 =0
=>x^2 +2x+1 -9=0
=>x^2 +2x+1 = 9
=>(x+1)^2=9 =>x+1 =3 या -3
इस प्रकार x = 2 या -4 होगा.
9.चलनकलनाभ्याम्
अर्थ:चलन-कलन की क्रियाओं द्वारा
प्रयोग: द्विघात समीकरणों को हल करने में. अन्य स्थानों में भी.
उदाहरण: x2 + 5x + 4 = 0
इसका विविक्त्कर D=5^2 - 4.1.4=25-16=9
x2 + 5x + 4 का प्रथम अवकलज(first differential) होगा=2x+5
इस सूत्र के अनुसार 2x+5=(D का वर्गमूल) =>2x+5=+3 या 2x+5=-3
अतः x=-1 या -4 होगा.
10.यावदूनम
अर्थ: जितने का विचलन(कमी/अधिकता)है/जितना कम है.
प्रयोग:किसी संख्या का घन निकालने में.
उदाहरण: 103 का घन----यहाँ (आधार 100 से) विचलन +3 है.
घन निकालने के तीन चरण(step) हैं 1).जितना विचलन है उसका दुगुना विचलन और करो--- 103+6=109 2).विचलन को विचलन के तिगुने से गुणा करो--- 3x9=27 3).विचलन का घन =3^3=27
इस तरह 103 का घन है:-103^3 =109\27\27=1092727.
11.व्यष्टिसमष्टिः
अर्थ: इसका प्रायोगिक अर्थ हो सकता है--समष्टि(समूह) से व्यष्टि(एकल) में बदलकर.
प्रयोग: चतुर्घात समीकरणों--जिनके LHS में दो द्विपदों के चतुर्घातों का योग रहता है और RHS में कोई निश्चित संख्या होता है--के गुणनखंडन करने में.
उदाहरण: (x+7)^4 +(x+5)^4 =706
--दोनों द्विपदों के औसत, x+6 को y मान लेते हैं.
तब, (y+1)^4 +(y-1)^4 =706
=>2y^4 +12y^2+2 -- [y^3 और y कट गए]
=>y^4 +6y^2 -352 = 0
=>y^2 =16 या -22
और इस तरह y का मान ज्ञात किया जाता है.
*यह सूत्र कभी कभी इस तरह के सवालों के लिए भी लागु नहीं होता है.
उदाहरण: (x+7)^4 +(x+5)^4 =706
--दोनों द्विपदों के औसत, x+6 को y मान लेते हैं.
तब, (y+1)^4 +(y-1)^4 =706
=>2y^4 +12y^2+2 -- [y^3 और y कट गए]
=>y^4 +6y^2 -352 = 0
=>y^2 =16 या -22
और इस तरह y का मान ज्ञात किया जाता है.
*यह सूत्र कभी कभी इस तरह के सवालों के लिए भी लागु नहीं होता है.
12.शेषाण्यङ्केन चरमेण
अर्थ: अवशेष को अंतिम अंक के द्वारा.
प्रयोग: विशेष भाग/दशमलव भिन्न की क्रियाओं में.
उदाहरण: 1/7=
7 से 1 को भाग देने में,भजनफल(quotient) में दशमलव लिखने पर अब १ला भाज्य है 10---शेष=3
२.Q=4;R=2 ३.Q=2;R=6 ४.Q=8;R=4 ५.Q=5;R=5
यहाँ शेष(अवशेष)है :1(सबसे पहले),3(पहले भाग से),2,6,4,5 ---इसके बाद फिर वही क्रम शुरू हो जायेगा.
उत्तर पाने के लिए इन अवशेषों को 7 से गुणा करेंगे और गुणनफल का अंतिम अंक लिखेंगे-
3x7=21 ---- 1 ---3 २रा अवशेष है----- सबसे पहले का अवशेष सबसे अंत में गुणा होगा.
2x7=14 ---- 4
6x7=42 ---- 2
4x7=28 ---- 8
5x7=35 ---- 5
1x7=7 ---- 7 --------यहाँ 1 सबसे पहला अवशेष है.
इस तरह 1/7=0.142857
13.सोपान्त्यद्वयमन्त्यम्
अर्थ: अंतिम तथा उपान्तिम का दुगुना
प्रयोग: 1/A.B +1/A.C = 1/A.D +1/B.C के प्रकार के समीकरण हल करने में.(A,B,C,D समान्तर श्रेढ़ी में हैं).
उदाहरण:
A=(x+2),B=(x+3),C=(x+4),D=(x+5) ---यहाँ अंतिम है (x+5) और उपान्तिम है (x+4)
इसलिए (x+5) + 2(x+4)=0 => x = -13/3.
14.एकन्युनेन पूर्वेण
अर्थ: पूर्व वाले से एक कम द्वारा.
प्रयोग: उन संख्याओं के गुणन में प्रयुक्त होता है जिनके गुणक में सभी अंक 9 होते हैं.
उदाहरण: 783x999 =
यहाँ पूर्व 9 वाले को नहीं मानना है दूसरा वाला हमेशा ही पूर्व के रूप में माना जायेगा.
अब पूर्व का एकन्यून है -- 783-1=782
इसलिये गुणनफल होगा--- 782\(999-782) =782217.
15.गुणितसमुच्चयः
अर्थ: गुणनखंडो के गुणांकों के योग का गुणनफल, गुणनफल के गुणांकों के योग के बराबर होता है(S' of the product=product of S' of the factors; where S' stands for sum of co-efficients).
जैसे- 3x^2+5x+2=(x+1)(3x+2)
गुणनखंडों के गुणांको के योग का गुणनफल=(1+1)(3+2)=10
गुणनफल(3x^2+5x+2) के गुणांको का योग=3+5+2=10.
प्रयोग: गुणनखंडों और गुणांकों में संबंध स्थापित कर गुणनखंडन करने में.
उदाहरण: x^3 +6x^2 +11x+6 का गुणनखंडन----
हमें ज्ञात है कि (x+1) इसका एक गुणनखंड है. 'आद्यम् आद्येन' के प्रयोग से (x+1)(x^2 +......+6); अब सूत्र के प्रयोग से---
(1+1)(1+......+6)=(1+6+11+6) अर्थात् रिक्त स्थान में 5 होना चाहिए.
इस प्रकार हम पाते हैं (x+1)(x^2 +5x +6)=(x+1)(x+2)(x+3).
हमें ज्ञात है कि (x+1) इसका एक गुणनखंड है. 'आद्यम् आद्येन' के प्रयोग से (x+1)(x^2 +......+6); अब सूत्र के प्रयोग से---
(1+1)(1+......+6)=(1+6+11+6) अर्थात् रिक्त स्थान में 5 होना चाहिए.
इस प्रकार हम पाते हैं (x+1)(x^2 +5x +6)=(x+1)(x+2)(x+3).
16.गुणक समुच्चयः
अर्थ: यदि द्विघात व्यंजक दो द्विपदों (x+a) तथा (x+b) का गुणनफल है,तब इसका प्रथम अवकलन दोनों गुणनखण्डों का योग होता है आदि आदि*.(if and when a quadratic expression is the product of the binomials (x+a) and (x+b), its first differential is the sum of the said two factors and so on.)
--इसको (x+6)(x-5) लिख सकते है. अगर इस द्विघात समी० का प्रथम अवकलन D1 हो तो,
D1= गुणनखंडो का योग =>2x+1= (x+6) + (x-5).
*यह कार्य तो हमने चलन-कलन सूत्र से भी किया था किन्तु इस सूत्र से अधिक घात वाले व्यंजको का एक से अधिक कलन D2,D3 आदि के साथ भी कार्य किया जाता है.
प्रयोग: गुणनखंडन करने में और अवकल(differentiation) ज्ञात करने में.
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D1= गुणनखंडो का योग =>2x+1= (x+6) + (x-5).
*यह कार्य तो हमने चलन-कलन सूत्र से भी किया था किन्तु इस सूत्र से अधिक घात वाले व्यंजको का एक से अधिक कलन D2,D3 आदि के साथ भी कार्य किया जाता है.
प्रयोग: गुणनखंडन करने में और अवकल(differentiation) ज्ञात करने में.
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vedicmathsinhindi.blogspot.com
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जवाब देंहटाएंहां
हटाएंइसे वीडियो में बताओ समझ मे नही आ रहा है
हटाएंसच में अद्भुत है |
हटाएंBahut sundar
हटाएंAmazing post bro. Thank you
जवाब देंहटाएंIf u have any pdf related vedic maths so plzz send me through e-mail : kanakbazzar@gmail.com
Useless
हटाएंIts amazing, thank you
जवाब देंहटाएंthanks,
जवाब देंहटाएंcan you please share the name of any book which is having the best Described detail of vedic math,.
VEDIC MATHEMATICS , PUBLISHED BY MOTILAL BANARSIDAS PUBLISHERS, 1965.
हटाएंवैदिक गणित का बहुत ही सुंदर वर्णन है
हटाएंएक चैनल के माध्यम से टीवी प्रोग्राम में समझाया जाना चाहिए।
हटाएंStd 7 or 8 me sab details me hai
हटाएंभारत अच्छी चीजें को सीखना छोड़ दिया शायद इसीलिए भारत पीछे होता चला जा रहा है
जवाब देंहटाएंBilkul sahi hai bhai
हटाएं9026666406 mera no. Hai
Plz call me
Mujhe lagata sab ko school men yahi padna chahiye
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंGood
मुझे बहुत अच्छा लगा कि मैं वैदिक गणित सीखने गया
Nice trik
हटाएंVedic mathematics
हटाएंना जाने कब मेरा भारत इस विदेशी चुंगल से
जवाब देंहटाएंसम्पूर्ण रूप से आजाद होगा
Awesome
जवाब देंहटाएंExplain Kiya jaye
जवाब देंहटाएंI want to know intemately it
हटाएंMe isko aur achhe se janana chahta hu
हटाएंEnglish me available nhi ho sakta Kya.. .??
जवाब देंहटाएंYes
हटाएंI don't know
हटाएंThank You
हटाएंDaksh
हटाएंIt's avosome of based on vedic ganit bhut Mja aya
जवाब देंहटाएंआप सभी को यह पोस्ट पसंद आई इससे हमें प्रसन्नता है. हम शीघ्र ही नए पोस्ट को उपलब्ध करेंगे।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
Sir patwar exam me konsi book achhi rhegi
हटाएंKoi bhi padh le
हटाएंAmazing post bro. Thank you
जवाब देंहटाएंIf u have any pdf related vedic maths so plzz send me through e-mail taran1.singh@gmail.com
Divya
जवाब देंहटाएं10
हटाएंDivya
जवाब देंहटाएंमेरा भारत महान
जवाब देंहटाएंCareer nice
जवाब देंहटाएंSirji ye samajh nhi aya. Last Step.
जवाब देंहटाएंऊर्ध्व-तिर्यग्भ्याम्[vertically and crosswise]:
Sirji Ye samajh nhi aya. Last step.
जवाब देंहटाएंऊर्ध्व-तिर्यग्भ्याम्[vertically and crosswise]:
iss [urdhva-tiryagbhyam] sutra par vistar se charcha ki jayegi ,
जवाब देंहटाएंaap kisi sutra ka prayog samajhne ke liye facebook.com/vedicmathsinhindi par sampark kar sakte hain.
abhi ke liye, uss last step me yadi left to right calculation kar rahe hain to 'carry' aane wale ank ko left vale ank me jod(add) dijiye jaisa ki samanya jod ki sthiti me bhi hum karte hain.
Video ke dawara samjhe
हटाएंDimag ka dahi hai
जवाब देंहटाएंYe behtareen explanation h 🙏🙇
जवाब देंहटाएंSir mere ko aise samaj ni aa raha kya kru koi vidio dwara samjhao sir my whatsapp no 7505892040 please send video thankyou nice
जवाब देंहटाएंhttps://www.facebook.com/vedicmathsinhindi पर अपनी समस्या रखें , solve(हल) करके समझाने का प्रयास किया जायेगा।
जवाब देंहटाएंयदि लिंक काम न कर रहा हो तो vedicmathsinhindi सर्च करें।
[इस पर विस्तृत post शीघ्र ही लिखा जायेगा।]
धन्यवाद।
All these sutras are very useful for calculations.
जवाब देंहटाएंToday i now vedic math
जवाब देंहटाएंMyname is pankaj mai vaidik math ka paper 4 bar de chuka hno do barbanda me do bar kanpur school ki taraf se ja chtuka hnoo jismedo bar 4 distric me 1 do bar 14 distric second aa chuka hnoo i live in karwi
जवाब देंहटाएंKarwi me kha se hai Mai Raipura se hu
हटाएंMuje yh sabhi samjhne h koi samajh sakta hai kya
हटाएंI want to learn every step please someone is intresting to learn me so i will really helpful
हटाएंYes I am
हटाएंLast stap is problam
जवाब देंहटाएंBahut sundar
जवाब देंहटाएंExcellent, no word to praise. A lot of thanks
जवाब देंहटाएंBook ka name
जवाब देंहटाएंवैदिक गणित हमारे पूर्वजों का मुख्य धरोहर इसके सिद्धान्त को हमें आगे बढ़ना चाहिए इससे हमारे पूर्वजों याद ताजा हो जाता
जवाब देंहटाएंजय हिन्द
जय भारत
जय जवान
जय किसान
जय विद्यार्थी
BHUT KHUB JAI HIND BHAI
हटाएंAwesome bro. Pdf nhi hain kya bhai?
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंVery good👍
जवाब देंहटाएंResp sir
जवाब देंहटाएंPlz send all this in my mail ..
Thanks
Bahut gjb hein yeh dharohar
जवाब देंहटाएंSir YouTube or by pdf some knowledge reacive ho sakti hai
जवाब देंहटाएंHii
जवाब देंहटाएंOk
हटाएंVaidik ganit is the best.
जवाब देंहटाएंGood information
जवाब देंहटाएंThis is very useful for calculations
जवाब देंहटाएंAaj isase jyada aasan tarika apana ja raha hai...
जवाब देंहटाएंThank you🥰🥰🥰
जवाब देंहटाएंBhahut badhiya ser
जवाब देंहटाएंKya likhun sir,mere pas likhne ke lye
जवाब देंहटाएंShabd nahi hai,It is very amazing.
आश्चर्यजनक! किसी गोरी चमड़ी वाले ने इन सूत्रों को लिखा होता तो शायद दुनिया में तहलका मचा होता!
जवाब देंहटाएंजय भारत।
सच्ची भाई
हटाएंबिलकुल सही भाई
हटाएंBahut achha laga shikhkar
जवाब देंहटाएंBuddhi Saranam gacchami
जवाब देंहटाएंNice information shared by you.Also Enquire about the best ui ux design course in india. Learn the fundamentals of User Interface from scratch and get certified in the Graphic Designing course. Gain In-Depth Insight Of UX Design With Live Classes From the Industry's Best UX Experts with placement assurance. Master the latest ui ux tools and be ready for a career.
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जवाब देंहटाएंNakul ank ke bare me bhi bataye ki kaise isko janege
जवाब देंहटाएंVedic maths formulas is a collection of Techniques/Sutras to solve mathematical arithmetics in an easy and faster way. If you want to know about what is vedic maths properly then you have to connect with ziyyara.
जवाब देंहटाएंContact Us - +91-965427911
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बहुत सुंदर है आज जो विलुप्त हो रही है उसे लोगो के बीच लाने का एक अच्छा प्रयास है
जवाब देंहटाएंआनंद कुमार पांडेय 9936590461
जवाब देंहटाएंThank you very much for your valuable and meaningful Blog. And Learn more about e-Learning and individualized what is vedic maths.
जवाब देंहटाएंVaidik math ko prakashit kar bacchon ko padhaayaa jana chahie
जवाब देंहटाएंFugigxypct
जवाब देंहटाएंVery good👍 tip for maths
जवाब देंहटाएंBahut acha nice 🙏🙏❤
जवाब देंहटाएंBhut acha hai nice
जवाब देंहटाएंI would want to express my gratitude for providing this interesting writing. In the context of online Vedic Math education, in particular, it has unquestionably shown to be really helpful. Numerous people have reported having had positive experiences with it. In the world of online online vedic math class, it's essential to find the best resource that perfectly complements your own learning preferences and focused goals.
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जवाब देंहटाएंAnsh yadav
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार और बहुत ट्रिकी फार्मूला है। अभी मैं 12 फार्मूला सिख चुका हु बाकी का भी सीख रहा हु।
जवाब देंहटाएंAnkit jatav
जवाब देंहटाएंआप इसे समझाकर video बनाकर भेजे
जवाब देंहटाएंThe English person week always our country of India
जवाब देंहटाएं16
जवाब देंहटाएंThank you sir
जवाब देंहटाएं